Insaniyat Shayari
आजकल क्या नहीं है धन है साधन है, संसाधन है कमी है तो बस इंसानियत की..लोग है.. लोकतंत्र नहीं है, इंसान कि भरमार है इन्सानियत नहीं है और अगर है भी तो बहुत कम मात्रा में, जबकि इसमें बढ़ोतरी होनी… और पढ़ें »Insaniyat Shayari
आजकल क्या नहीं है धन है साधन है, संसाधन है कमी है तो बस इंसानियत की..लोग है.. लोकतंत्र नहीं है, इंसान कि भरमार है इन्सानियत नहीं है और अगर है भी तो बहुत कम मात्रा में, जबकि इसमें बढ़ोतरी होनी… और पढ़ें »Insaniyat Shayari